किसी समय की बात है, जब ज्ञान, शक्ति और आत्मचेतना के मार्ग को समझने के लिए साधक अपनी यात्रा पर निकलते थे। इस यात्रा में एक स्थान था, जिसे "भानगढ़" कहा जाता था—यह केवल एक किला नहीं था, बल्कि आत्मबोध का केंद्र, चेतना का दुर्ग और दिव्यता का प्रवेशद्वार था। आत्मभान: वह जिसने स्वयं को जान लिया इस गढ़ का स्वामी था आत्मभान पंडित—एक ऐसा ज्ञानी जिसने स्वयं को और समस्त ब्रह्मांड को जान लिया था। वह न केवल आत्मज्ञान का प्रतीक था, बल्कि अपने तेजस्वी सहयोगियों के साथ मिलकर इस संसार को प्रकाशमान कर रहा था। भानगढ़ के रक्षक: आत्मभान के सहयोगी आत्मभान अकेला नहीं था। उसके साथ थे पंद्रह महान योद्धा और संरक्षक, जो ब्रह्मांड की विभिन्न शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते थे। ये सभी भानगढ़ की रक्षा करते और सत्य, शक्ति, और ज्ञान का प्रसार करते। १. दिव्य प्रकाश के योद्धा (Celestial Guardians) चंद्रभान – जिसने चंद्रमा की तरह शीतल ज्ञान दिया और आत्मा को शांति प्रदान की। सूर्यभान – जिसने सूर्य की तरह सत्य और प्रकाश फैलाया, जिससे अज्ञान का अंधकार मिट गया। अग्निभान – जिसने अग्नि के समान परिवर्तनकारी शक्ति द...
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